चांद की चांदनी में देंखा था तुम्हें उस रोज
क्या सितम ढा रही थी तुम उस रोज
जब पास जाके देखा तुम्हें...
तो चुड़ैल की अम्मा लग रही थी तुम उस रोज...
✍✍✍✍ मयंक जैन
चांद की चांदनी में देंखा था तुम्हें उस रोज
क्या सितम ढा रही थी तुम उस रोज
जब पास जाके देखा तुम्हें...
तो चुड़ैल की अम्मा लग रही थी तुम उस रोज...
✍✍✍✍ मयंक जैन
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