घर से लेकर कालेज तक हमेशा दहशत में रहतीं हूं
क्या यें मेरी गल्ती हैं कि मैं एक लड़का नहीं बल्कि एक लड़की हूं....
क्या यें मेरी गल्ती हैं कि मैं एक लड़का नहीं बल्कि एक लड़की हूं....
मंदिरों में भगवान के रूप में पूजी जाती हूं...
और बाहर आते ही एक पटाखा और माल कही जाती हू...
और बाहर आते ही एक पटाखा और माल कही जाती हू...
वैसे तो मुझे लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है..
फिर क्यों मुझे दहेज के लिए मजबूर किया जाता हैं..
फिर क्यों मुझे दहेज के लिए मजबूर किया जाता हैं..
मुझे ही सरस्वती लक्ष्मी और दुर्गा कहा जाता है..
फिर क्यों मुझे मां के गर्भ में ही मार दिया जाता है..
फिर क्यों मुझे मां के गर्भ में ही मार दिया जाता है..
लड़कियां देवी का रूप होती है, ये केवल इंसान की जुबान पर ही रह गया है...
और आज इंसान इंसान नहीं, जानवर से भी बत्तर हो गया है...
और आज इंसान इंसान नहीं, जानवर से भी बत्तर हो गया है...
घर से लेकर कालेज तक हमेशा दहशत में रहतीं हूं
क्या यें मेरी गल्ती हैं कि मैं एक लड़का नहीं बल्कि एक लड़की हूं....
क्या यें मेरी गल्ती हैं कि मैं एक लड़का नहीं बल्कि एक लड़की हूं....
✍✍✍✍ मयंक जैन
nice poem sir
ReplyDeleteGreat!!!!
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