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Khanjar

आसु छलक जाते हे आंखौ से
जब कोई अपना बेगाना हो जाता है
उसकी बेरुखी रास नही आती
जब ये दिल उसकी यादों में परवाना हो जाता है
यादों के खंजर दिल में तीर चलाते हैं
तब ये दिल तार तार हो जाता हे
ऐ कैसी मेरी मुहब्बत हे या उसका कोई जादू हे
उसकी बेवफाई के बाद भी उसका भोलापन याद आ जाता है
आसु छलक जाते हे आंखौ से
जब कोई अपना बेगाना हो जाता है...

✍✍✍ मयंक जैन

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